चमत्कारी हैं सिलोईया की बाणेश्वरी माता का मंदिर
-----------------------------*छोटे बच्चे दूर-दूर से आते हैं खलखलिया ( कुकर खांसी) के अचूक ईलाज के लिए गुफा में से निकालने को रविवार या मंगलवार को ही बच्चों को गुफा में से निकाला जाता हैं |*
आधुनिक युग में माने या न माने लेकिन आज भी सचमुच चमत्कारी एवं जन - जन के आस्था का केन्द बना हुआ हैं जो सिरोही जिला मुख्यालय से पश्चिम दिशा में डोडुआ के समीपवर्ती 18 कि मी दूर प्रकृति की गोद में बसा सिलोईया स्थित बाणेश्वरी माता का मंदिर हैं जहाँ पर चमत्कारी धाम हैं | यहाँ पर महिने की हर शुक्ल चौदहस को हजारों की तादाद में दूर- दूर से आने वाले श्रद्धालुओं का मेला सा माहौल बना रहता हैं | पहाडी पर स्थित मंदिर की भव्यता व कलात्मक को देखकर मनमोहक हो जाता हैं |
ज्ञातव्य रहे कि मंदिर के सामने ही गाँव से सटे पहाड़ी पर आरपार की चमत्कारी गुफा हैं जिसमें से होकर एक-एक व्यक्ति ही निकल सकता हैं | पहले बच्चों को चढाने के लिए परेशानी होती थी लेकिन वर्तमान में पहाड़ी पर चढ़ने व उतरने के लिए चार वर्ष पूर्व ही आस्तिक भक्तों ने चिढियां बनवाई हैं |
सिलोईया निवासी बुजुर्ग व्यक्ति शैतान सिंह देवड़ा से प्राप्त जानकारी के अनुसार ये धाम करीब एक हजार वर्ष पुराना हैं | ये बताते हैं कि उस समय पाँच देवियां आबू से विभिन्न दिशाओं में निकली थी जिसमें मीरपुर में नोदवनी माता मामावली में पोमती माता सुन्धा में चामुण्ड़ा माता जिसमें से एक देवी बाणेश्वरी माता सिलोईया में आई एवं पहाडी को फोड़ कर निकली जहाँ पर आज भी हजार वर्ष पूर्व से ही चमत्कारी गुफा विद्यामान हैं व गुफा के सामने वाली पहाड़ी पर ही वर्तमान में विराजित हैं जहां भव्य कलात्मक मंदिर बना हुआ हैं |
सिलोईया निवासी बुजुर्ग व्यक्ति शैतान सिंह देवड़ा से प्राप्त जानकारी के अनुसार ये धाम करीब एक हजार वर्ष पुराना हैं | ये बताते हैं कि उस समय पाँच देवियां आबू से विभिन्न दिशाओं में निकली थी जिसमें मीरपुर में नोदवनी माता मामावली में पोमती माता सुन्धा में चामुण्ड़ा माता जिसमें से एक देवी बाणेश्वरी माता सिलोईया में आई एवं पहाडी को फोड़ कर निकली जहाँ पर आज भी हजार वर्ष पूर्व से ही चमत्कारी गुफा विद्यामान हैं व गुफा के सामने वाली पहाड़ी पर ही वर्तमान में विराजित हैं जहां भव्य कलात्मक मंदिर बना हुआ हैं |
देवड़ा ने बताया कि जिस गुफा से माता निकली उस गुफा का आज भी चमत्कार हैं | यह पहले चमत्कार पाडिव के एक ब्राह्मण को दिया था जो कि कोढ़ से पीडित था लेकिन जैसे ही माता को धोक लगाने आया तो तुरन्त ही माता के चमत्कार से बिल्कुल ठीक हुआ तब ब्राह्मण प्रसन्न होकर यहां पर एक वाव खुदाई जो आज भी विद्यमान हैं | ये बताते हैं कि सैंकड़ों पीढियों से आज भी यह हैं कि यदि छोटे बच्चों ( लड़का लड़की कोई भी )को खलखलिया ( कूकर खांसी ) हो जाए एवं उस बच्चे को रविवार या मंगलवार के दिन सूर्योदय की किरण निकले वक्त पर इस गुफा से प्रवेश करवाकर बाणेश्वरी माता के दर्शनार्थ ले जाया जाए एवं अपनी श्रद्धानुसार गुड़ का भोग लगाते हैं तो अति शीघ्र ठीक हो जाती हैं | वे यह भी बताते हैं कि जब भी किसी बच्चे को गुफा में से निकालते हैं तो पीछे देखना वर्जित हैं | खलखलिया ( कूकर खांसी ) ठीक कराने को लेकर विभिन्न क्षेत्रों के श्रद्धालु दूर - दराज से आने का तांता लगा रहता हैं एवं वो सचमुच बिल्कुल ठीक हो जाता हैं | देवड़ा ने यह भी बताया कि जब वे चार - पाँच वर्ष के थे तब उन्हें भी इस गुफा से निकाला था व खांसी ठीक हो गई थी | कुछ बड़े बुजुर्ग ये भी बता रहे हैं कि पुराने जमाने में गेल गौत्र के देवासी को भी माता ने चमत्कार दिया था जो कालांतर में देवासी गुजरात व नया सानवाड़ा ( सिरोही ) में बसने लगे जिनके वंशज आज भी ब्याह शादी इत्यादि शुभ कार्य में समय - समय पर माता के चरणों में धोक लगाने व दर्शन करने आते हैं |
ये धाम बड़ा ही चमत्कारी हैं बाणेश्वरी माता का मंदिर पहाड़ी के ऊँचाई पर प्राकृतिक सौन्दर्य में बसने से हर किसी का मन प्रसन्न हो जाता हैं | सिलोईया गाँव ग्राम पंचायत सरतरा के अधीन आता हैं | केवल पन्द्रह सौ लोगों की आबादी का ही छोटा सा गाँव हैं | पर हर घर वासी माता का परम भक्त व माँ के प्रति अटूट आस्था हैं |
गौरतलब यह हैं कि इस मंदिर में बरसों से वराल के सोलंकी गौत्र माली समाज ही पूजा अर्चना करते आ रहे हैं | वर्तमान में माता के मंदिर का पुजारी वराल के शंकर लाल माली हैं | पुजारी शंकर लाल माधु सिंह देवड़ा व कवि केसर सिंह गोहिल " अक्षर " ने बताया कि बाणेश्वरी माता का विशाल वार्षिक मेला प्रति वर्ष वैशाख सुद ७ ( सातम ) को लगता हैं | यहाँ पर विशाल हाट बाजार लगने से मेले की शोभा दुगुनी कर देता हैं | मेले में आस-पास गाँवों के दूर - दूर से
हजारों की तादाद में भक्त- श्रद्धालुओं भाग लेते हैं |
महामाया बाणेश्वरी माता के बारे में जानकारी हेतुं श्री कुंदन सिंह जी देवड़ा का आभार
जय बाणेश्वरी माता
जय सोनाणा खेतलाजी
जय सोनाणा खेतलाजी
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चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय
चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय
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