Saturday, 18 June 2016

सज धज बेठी चित्तौड़ गढ़ माय चित्तौड़ गढ़ राय

सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।

चार भुजा थारे शोभती , धनुष-बाण हाथा माय ।
सिंवरता सेवक रे हेले , करे मावड़ी सहाय ।।
सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।

हंस सवारी सोवणि , कुण्डल काना माय ।
नथ नाक में सुहावणी , अति मुख थारे सुहाय ।।
सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।

रतन सिंघासण आपरे , पीळा वस्त्र सोवणा ।
सेवकिया री अरदास पर , आवो बायण माँ पावणा ।।
सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।

अनु उतारे आरती , नित उठ गुण थारा गावे ।
महेंद्र मावड़ी अरज करे , सुख शरणा में पावे ।।
सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।

सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।

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