सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।
चार भुजा थारे शोभती , धनुष-बाण हाथा माय ।
सिंवरता सेवक रे हेले , करे मावड़ी सहाय ।।
सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।
हंस सवारी सोवणि , कुण्डल काना माय ।
नथ नाक में सुहावणी , अति मुख थारे सुहाय ।।
सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।
रतन सिंघासण आपरे , पीळा वस्त्र सोवणा ।
सेवकिया री अरदास पर , आवो बायण माँ पावणा ।।
सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।
अनु उतारे आरती , नित उठ गुण थारा गावे ।
महेंद्र मावड़ी अरज करे , सुख शरणा में पावे ।।
सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।
सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।
No comments:
Post a Comment