बाण , बायण सु मैं मनाया , थे हो माँ ब्रह्मणी ...
सेवकिया री सहाय करो , माँ गढ़ चित्तौड़ धणियाणी..
द्वापर युग रे मायने , बाणासुर अत्याचारी ....
मात ब्रह्माणी मिटावियों , धरती रो भार भारी...
बाण , बायण सु मैं मनाया , थे हो माँ ब्रह्माणी....
सेवकिया री सहाय करो , माँ गढ़ चित्तौड़ धणियाणी...
बप्पा रावल आपरी , नित नेम सु पूजा किणी...
थू दयालु दातार भवानी , गढ़ चित्तौड़ री गादी दिणि..
बाण , बायण सु मैं मनाया , थे हो माँ ब्रह्मणी ...
सेवकिया री सहाय करो , माँ गढ़ चित्तौड़ धणियाणी..
लक्ष्मण पाटण पधारिया , स्वयंवर जितायो भारी..
पाटण सु शिशोदा पधारिया , माँ म्हारी चार भुजा धारी...
बाण , बायण सु मैं मनाया , थे हो माँ ब्रह्मणी ...
सेवकिया री सहाय करो , माँ गढ़ चित्तौड़ धणियाणी..
अनुराधा अरज करे , राखों शरणा में थारी..
महेंद्र मनाया आवजो , होय हंस असवारी ...
बाण , बायण सु मैं मनाया , थे हो माँ ब्रह्मणी ...
सेवकिया री सहाय करो , माँ गढ़ चित्तौड़ धणियाणी..
बाण , बायण सु मैं मनाया , थे हो माँ ब्रह्मणी ...
सेवकिया री सहाय करो , माँ गढ़ चित्तौड़ धणियाणी
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