पाटण गढ़ सूं उड़ हंसौ, मेवाड़ मांही आयौ
मरु री धरती ने देख , मन उणरो चकरायौ
जौहर शाका नित हुवे , आ धरती अणजाणी
भड़ भगता री बात न पूछौ, लहू बहे ज्यूँ पाणी
गढ़ मोटो मेवाड़ रो , अद्भुत किलो निजर आयों
हंसौ उड़ किला में बैठों , माँ बायण रो थान थपायों
मोटी मात भवानी म्हारी , बप्पा लक्ष्मण गुण गावै
पल में दुखड़ा दूर करे , अपार सुख सरसावै
नर नारी दर्शन ने आवे , राखे माँ चतर छाया
इण देवी री बात न पूछों , मोटी माँ री माया
रोगी भोगी सब आवे , सुखी हो जावे काया
जरणी मात जगदम्बा म्हारी , प्यारी लागै भाया
बेटा ज्यारा खेतल देव , सारंगवास रा निवासी
श्वान सवारी ज्यारे शोभती , महिमा ज्यारि साची
लुटण राज मेवाड़ रों , दुष्ट ख़िलजी आयौ
भुज भवानी भांजिया , ख़िलजी अति घबरायौ
अन्न धन्न भण्डार भरी , सेवक सहाय आई
सुमरिया पार उतारिया , मातेश्वरी मेवाड़ी माई
अनु उतारे आरती , मातेश्वरी थू मतवाळी
महेंद्र मनाया आवजों , मात चित्तोड़ गढ़ वाळी ।
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