Saturday, 26 December 2015

माँ ब्राह्मणी मंदिर - राजा सुरथ से जुड़े इतिहास

मां ब्राह्मणी मंदिर : राजा सूरथ से जुड़े हैं इतिहास
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जय माँ बाण/बायण/ब्राह्मणी माताजी
हनुमानगंज (बलिया) : जिला मुख्यालय से पांच किमी उत्तर बलिया-सिकंदरपुर मुख्य मार्ग पर ब्रह्माइन गांव स्थित मां ब्राह्मणी देवी का प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं के बीच आस्था का केंद्र ¨बदु बना हुआ है। मान्यता है कि सच्चे मन से जिस किसी ने कुछ मांगा, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। नवरात्र में ही नहीं बल्कि अन्य अवसरों पर भी दर्शन-पूजन को दूर-दराज से लोग यहां आते हैं। दुर्गा सप्तशती व मारकंडेय पुराण में वर्णित है कि भवन के राजाओं से हार कर राजा सूरथ कुछ सैनिकों के साथ शिकार खेलने के बहाने निकल गए। आज जहां ब्रह्माइन गांव स्थित है कालांतर में वहां जंगल था। वहीं रुके और सैनिकों से पानी लाने को कहे। सैनिकों को कुछ दूर चलने पर एक सरोवर दिखाई दिया। वहां से पानी लाकर उन्होंने राजा को दिया। राजा युद्ध में घायल हो गए थे और शरीर के कई जगह से मवाद निकल रहा था। राजा ने जब उस पानी का स्पर्श किया तो वहां का कटा व मवाद युक्त घाव ठीक हो गया। इस घटना से चकित राजा ने सैनिकों को उस स्थान पर ले चलने को कहा जहां से वे जल लाए थे। वहां पहुंचने के बाद राजा ने उस सरोवर में छलांग लगा दी जिससे उनका पूरा शरीर सोवरन हो गया वहां पर राजा ने विचार किया कि निश्चय ही ये स्थान कोई पवित्र जगह है। सैनिकों को भेजकर राजा अकेले ही विचरण करने लगे वहीं पर उन्हें एक आश्रम दिखाई दिया वह आश्रम महर्षि मेधा का था। महर्षि से उचित सत्कार पाकर राजा उनके आश्रम में विचरण करने लगे। कुछ दिनों बाद वहां पर एक समाधि नाम का वैश्य आया जिसे उसके परिजनों ने धन के लोभ में घर से निकाल दिया था। राजा सूरथ व समाधि ने ऋषि मेधा से शांति पाने का उपाय पूछा। ऋषि ने आदि शक्ति की उपासना को कहा। वहीं पर राजा सूरथ व समाधि ने तीन वर्षों तक मां ब्रह्माणी की तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां ब्रह्माणी देवी अवतरित हुई दोनों को मनोवांछित फल देकर अभिलाशित किया। राजा सूरथ की तपोस्थली सुरहा के नाम से विख्यात हुई और उससे निकलने वाला एक मात्र नाला जिसके जल से राजा का कोढ़ जैसा शरीर सुंदर हो गया, वह कटहल नाले के नाम से विख्यात हुआ।

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